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मन की वृद्धि ही मन की अशुद्धि || आचार्य प्रशांत, यीशु मसीह पर (2015)

2019-11-29 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />१२ जुलाई २०१५,<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />बाइबल, मरकुस (अध्याय-७ सूत्र-१५)<br />ऐसी तो कोई वस्तु नहीं जो मनुष्य में बाहर से समाकर अशुद्ध करे;<br />परन्तु जो वस्तुएं मनुष्य के भीतर से निकलती हैं, वे ही उसे अशुद्ध करती हैं।<br />ऐसी तो कोई वस्तु नहीं जो मनुष्य में बाहर से समाकर अशुद्ध करे;<br />परन्तु जो वस्तुएं मनुष्य के भीतर से निकलती हैं, वे ही उसे अशुद्ध करती हैं।<br /><br />प्रसंग:<br />मन की शुद्धि किस प्रकार करनी चाहिए?<br />मन अशुद्ध क्यों हो जाता है?<br />मन है क्या ?

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